समुद्र में बढ़ती भारत की ताकत
भारतीय नौसेना निरन्तर मजबूत हो रही है। अपने देश में निर्मित अपना पहला स्वदेशी एअरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत दुश्मनों की नींद उड़ा चुका है। देश में बहुत कुछ बदल रहा है। भारतीय नौसेना के ध्वज को भी परिवर्तित कर दिया गया है। झण्डे पर अभी तक गुलामी की तस्वीर जो लगी थी उसे हटा दिया गया है। ध्वज पर बांयी ओर तिरंगा और दायीं ओर अशोक का चिन्ह अंकित किया गया है और उसके नीचे लिखा है शं नो वरुणः जिसका अर्थ है कि हम सबके लिए वरूण शुभ हो। आईएनएस विक्रांत में लगे 70 प्रतिशत सामान स्वदेशी हैं। सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर आईएनएस विक्रांत दिखा रहा है। स्वदेशी एअर क्राफ्ट कैरियर का निर्माण कर भारत आज उन देशों की सूची में सम्मिलित हो गया है जो अपनी तकनीक से बड़े एअर क्राफ्ट कैरियर बना सकते हैं। इसके पहले अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और इंग्लैण्ड देश सम्मिलित थे। भारत के पास विमान पोत आईएनएस विक्रांत था और उसी को श्रद्धांजलि देने के लिए ही भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत का नाम भी आईएनएस विक्रांत रखा गया है। पुराना आईएनएस विक्रांत ब्रिटेन से खरीदा गया था कई वर्षों तक सेवा देने के बाद उसे 31 जनवरी 1997 में रिटायर कर दिया गया था। 45000 टन का यह युद्धपोत 52 किमी0 प्रति घंटे की रफ्तार से समुद्र में दौड़ सकता है। आईएनएस विक्रांत की लम्बाई 860 फीट, बीम 203 फीट गहराई 84 फीट और चौड़ाई 203 फीट है। इसके ऊपर तीस से पैंतीस विमान तैनात किये जा सकते हैं।
भारत समुद्र में आज शक्तिशाली हो गया है। चीन सहित सभी पड़ोसियों से बहुत आसानी के साथ मुकाबला कर सकता है। समस्त भारतीय को इस बात पर गर्व होना चाहिए के हम दुश्मनों से लड़ने के लिए नम, जल, थल में पूरी रह से तैयार है।