खुद से करें प्रतिस्पर्धा

 खुद से करें प्रतिस्पर्धा

मानव मानव स्वभाव है- तुलना, ईर्ष्या, प्रेम, घृणा, प्रतिस्पर्धा। वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का समय है, किंतु यदि यह प्रतिस्पर्धा दूसरों से न करके स्वयं से की जाए तो कितना अच्छा हो। स्वयं से प्रतिस्पर्धा और आत्मचिंतन करके हम स्वयं का निर्माण तो करते ही हैं, हमारे द्वारा स्वयं का आत्ममंथन भी हो जाता है।


आपकी जब हम दूसरों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, तब हमारे हृदय के भीतर एक निष्क्रिय सोच का निर्माण तो होता ही है, साथ में नकारात्मक सोच भी बढ़ती है, जो हमें भीतर से पूरी तरह नष्ट कर देती है। सच मानिए, अगर आप स्वयं से प्रतिस्पर्धा करेंगी तो उत्तरोत्तर निज निर्माण करने के साथ-साथ एक ऐसे फल को प्राप्त कर लेंगी, जिसका स्वाद हमेशा आपको मीठा ही मिलेगा। अगर आप सोचती हैं कि मेरे पड़ोसी के पास न्यू ब्रांड कार है और लग्जरी वस्तुएं हैं, परंतु मेरे पास नहीं, तो सबसे पहले तो हमने स्वयं में नकारात्मकता को जन्म दिया और दूसरे हम उनको प्राप्त करने के लिए स्वयं में न जाने कितनी गलत सोच का निर्माण करेंगे, जो हमारे निर्माण नहीं, अपितु पतन का कारण बनेगी। हमारी गलत सोच उस कुल्हाड़ी की भांति है, जिसको हम अपने ही पैरों पर मार रहे हों और स्वयं को पथ भ्रमित कर रहे हों। आज मानव अपने दुख से दुखी नहीं, अपितु दूसरों के सुख से दुखी है। अपनी आशाओं और इच्छाओं को पाने के लिए स्वयं से प्रतिस्पर्धा करें। स्वयं से प्रतिस्पर्धा द्वारा अपने जीवन में नित नए रंग भरके एक नया आकार, नवीन संरचना रचें। स्वयं से हमारी नित नवीन प्रतिस्पर्धा जीवन रूपी कैनवस पर नई-नई आकृतियों को उकेरने का कार्य तो करेगी ही, साथ में जीवन  की यह उपलब्धि दूसरों को आकर्षित और प्रभावित किए बिना भी नहीं रहेगी। एक नई सोच, एक नई पहल, एक नए जज्बे के साथ आप नए जीवन में प्रवेश करेंगी। कल्पना से परे स्वयं की सत्यता को जानने का आभास है आत्मप्रतिस्पर्धा । धनुष की कमान को जितना अधिक खींचा जाए, तीर उतना ही दूर जाएगा। इसलिए स्वयं की कमान को जितना अधिक खींचेंगी, आत्मप्रतिस्पर्धा आपके लिए उतनी ही उपयोगी होगी और उद्देश्य को पूर्ण करने में कहीं न कहीं कारगर होगी।

शिक्षा,हेल्थ, ट्रेंडिंग,वायरल खबरे, लेस्टस खबरों के लिए www.expressmorning.com

आत्मप्रतिस्पर्धा स्वयं में स्वयं को जानने की कला, जीवन में रंग, खुशियां और उमंग भरने की कला, स्वयं का आत्मिक सौंदर्य निखारने की कला है। स्वयं को यदि स्वयं में स्थापित करना हो तो स्वयं से प्रतिस्पर्धा करें। जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपकी जीत पक्की और सुनिश्चित है।

Post a Comment

Previous Post Next Post