तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित

तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित

28 दिसंबर, 2017 को लोकसभा ने तीन तलाक विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया। विदित है कि केंद्र सरकार ने नवंबर 2017 में इसके लिये एक मंत्रिमंडलीय समूह का गठन किया था, जिसमें अरुण जेटली. मुख्तार अब्बास नकवी, सुषमा स्वराज तथा रविशंकर प्रसाद शामिल थे। इस समिति के सुझाव के आधार पर यह विधेयक तैयार किया गया था। इससे पहले देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली सर्वाच्य न्यायालय की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने भी अपने ऐतिहासिक निर्णय में 3-2 के बहुमत से तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इस संबंध में खंडपीठ ने कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 के अंर्तगत यह प्रथा असंवैधानिक है।


इस संबंध में उत्तराखंड के नैनीताल जिले के काशीपुर की सायरा बानों ने सर्वोच्च न्यायालय में यह अर्जी दायर की थी कि मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा पूर्णतया असंवैधानिक है। क्या है तीन तलाक ? तीन तलाक मुस्लिम समाज में विवाह को तोड़ने का वह तरीका है, जिसमें कोई भी मुस्लिम पुरुष बिना किसी कानूनी निर्णय के तीन बार तलाक कहकर अपनी पत्नी से किसी भी समय नाता तोड़ सकता है।

सुगम्य वेबसाइट प्रारंभ

19 जनवरी, 2018 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सुगम्य भारत अभियान के अंतर्गत 'सुगम्य भारत वेबसाइट' का लोकार्पण किया। इस वेबसाइट का उपयोग करके देश के सभी दिव्यांग आसानी से विभिन्न प्रकार की सूचनायें प्राप्त कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त ये इन जानकारियों को आपस में साझा भी कर सकते हैं। यह वेबसाइट इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी वैज्ञानिक सोसाइटी 'ईआरएनईटी' के माध्यम से प्रारंभ की गयी है। इस कार्यक्रम में अंतर्गत यह लक्ष्य रखा गया है कि इस प्रकार की कुल 917 वेबसाइटों का निर्माण किया जायेगा।

राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना

दिसंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न हुयी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की गयी। इसके लिये केंद्र सरकार द्वारा 9046.17 करोड़ की धनराशि आवंटित की गयी है। यह मिशन एक शीर्ष निकाय के रूप में विभिन्न मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन तथा लक्ष्य निर्धारण का कार्य करेगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के ऐसे 10 करोड़ लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है, जो पोषण की समस्या के कारण विभिन्न प्रकार की शारीरिक दुर्बलताओं से पीड़ित हैं।

क्रीमीलेयर की आय सीमा में वृद्धि

सितंबर 2017 में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने एक नया आदेश जारी करते हुये अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाली क्रीमीलेयर की आय सीमा में वृद्धि कर दी है। इस नये निर्णय के अनुसार, अब अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये अधिकतम आय सीमा 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष होगी। इससे ऊपर की आय वाले परिवार ही क्रीमीलेयर के दायरे में आयेंगे। विदित है कि अभी तक यह सीमा 6 लाख रुपये वार्षिक थी। मंत्रालय के इस नये आदेश में कहा गया

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