वैयक्तिक विघटन के स्वरूप (भेद)। FORMS OR TYPES OF PERSONAL DISORGANIZATION

 वैयक्तिक विघटन के स्वरूप (भेद)। FORMS OR TYPES OF PERSONAL DISORGANIZATION

अधिकांशतः विघटित व्यक्ति गतिशील और अस्थिर समाज की हो उपज होते है। बहुत से व्यक्ति सामाजिक परिवर्तन की तीव्रता के कारण समूह की अपेक्षाओं के अनुरूप भूमिकाएं निभाने में अपने को असमर्थ पाते है। कुछ शारीरिक और मानसिक दोष भी व्यक्ति के सफलतापूर्वक भूमिका अदा करने में बाधक होते है, लेकिन यहां हम वैयक्तिक विघटन के उन स्वरूपों पर ही विचार करेंगे जो प्रमुखतः सामाजिक कारकों के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं। जब व्यक्ति के जीवन संगठन का विघटन होता है तो उसका प्रकटीकरण बाल अपराध, अपराध, यौन अपराध, मद्यपान, पागलपन और आत्महत्या के रूप में होता है। इलियट और ति ने बताया है कि वैयक्तिक विघटन के स्वरूप एक अथवा दूसरे प्रकार से व्यक्तियों को सन्तोषप्रद जीवन संगठन को प्राप्त करने की असमर्थता को व्यक्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति अनेक कारणों से समूह की अपेक्षाओं के अनुरूप भूमिकाएं अदा करने में असमर्थ रहते हैं। परिणामस्वरूप उनका जीवन संगठन असन्तुलित अरे जाता है और वैयक्तिक विघटन की स्थिति उत्पन्न होती है। जब परिस्थितियां व्यक्तियों को उन कार्यों को करने की बाध्य कर देती हैं जिनके लिए चे शारीरिक एवं स्वभावगत रूप से अयोग्य है तो ऐसी स्थिति में उनके व्यक्तित्व विघटित हो जाते हैं। सृजनात्मक व्यक्तित्व एवं व्याधिकीय व्यक्तित्व प्रकार (Creative and Pathological Personality



प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक जीवन संगठन होना है। वह सामाजिक मूल्यों, अभिवृत्तियों एवं प्रतिमानों के अनुरूप आचरण करने का प्रयत्न करता है। समाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान उसके व्यक्तित्व का विकास होता है। वे लोग जो समाज की मान्यताओं के अनुरूप अपने आपको ढाल पाते हैं, अपनी सामाजिक भूमिका ठीक प्रकार से निभाने में सफल हो जाते हैं, ऐसे व्यक्तियों के और समाज के मूल्यों एवं अभिवृत्तियों में समानता पायी जाती है। ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व एकीकृत व सन्तुलित होता है। इनके विपरीत अनेक ऐसे लोग भी होते हैं जो समाज में सामान्यतः प्रचलित मूल्यों एवं अभिवृत्तियों से भिन्न प्रकार के मूल्यों, अभिवृत्तियों एवं व्यवहार प्रतिमानों को अपने में आत्मसात कर लेते हैं। परिणाम यह होता है कि वे समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप भूमिका नहीं निभा पाते। ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व विघटित हो जाता है।

यहां इतना बतलाना आवश्यक है कि वैयक्तिक विघटन में व्यक्तित्व का संगठन या सन्तुलन बिगड़ जाता है। इस दशा में व्यक्ति अपने चारों ओर की परिस्थितियों के साथ ठीक से अनुकूलन करने में असमर्थ रहता है। उन लोगों के व्यक्तित्व को जो वैयक्तिक विघटन के शिकार होते हैं, दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: मॉवरर ने वैयक्तिक विघटन के आधार पर व्यक्तित्व के दो प्रकार बताये हैं:

(1) सृजनात्मक व्यक्तित्व या सृजनात्मक वैयक्तिक विघटन (Creative Personality type or Creative Personal Disorganization) एवं (2) व्याधिकीय व्यक्तित्व या व्याधिकीयः वैयक्तिक विघटन (Pathological Personality type or Pathological Personal Disorganization) | यह वर्गीकरण इस मान्यता पर आधारित है कि प्रत्येक व्यक्ति में सृजनात्मक एवं व्याधिकीय व्यक्तित्व की विशेषताएं मौजूद रहती है। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व सृजनात्मक प्रकार का होगा या व्याधिकीय प्रकार का यह व्यक्ति विशेष की मानसिक दशा तथा सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

सृजनात्मक व्यक्तित्व(CREATIVE PERSONALITY) 

संवेदनशीलता व्यक्ति में एक ऐसा गुण है जो समाज के साथ उसके अनुकूलन को आसान बना देता है,

स्वीकार नहीं होते। इस दशा में व्यक्ति की सृजनात्मकता (Creativeness) उसके वैयक्तिक विघटन के लिए परन्तु अधिक या अति-संवेदनशीलता व्यक्ति को ऐसे कार्य करने को प्रोत्साहित करती है जो सामान्य लोगों को उत्तरदायी बन जाती है। सृजनात्मक व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को समाज की परम्पराए, मूल्य, व्यवहार प्रतिमान तथा

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