ए. पी. आई. व विशेष प्रबंधन प्रणाली व्यवस्था का अनुपालन करने वाला शहर का एकमात्र विद्यालय : डॉक्टर फैसल अख्तर

 ए. पी. आई. व विशेष प्रबंधन प्रणाली व्यवस्था का अनुपालन करने वाला शहर का एकमात्र विद्यालय : डॉक्टर फैसल अख्तर

बस्ती।  जब बात फन एंड लर्न से शुरू होकर एकेडमिक एक्सीलेंस पर खत्म हो तो विद्यालय का अस्तित्व बच्चों की मजबूत नीव के लिए अच्छा साबित होता है, ऐसा ही एक स्कूल पिछले 12 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहा है।  और लगातार सैकड़ों मेधावी छात्र साल दर साल तैयार कर रहा है    यह स्कूल रेलवे स्टेशन रोड स्थित सनराइज स्कूल है। 

लगातार बड़ी मात्रा में प्रतिभा का सृजन करने के लिए अनुभवी शिक्षकों का एक संगठित समूह का वर्षों तक बना रहना अत्यंत आवश्यक है।  सनराइज स्कूल में अधिकतर शिक्षक एवं शिक्षिकाएं 10 से ज्यादा वर्षों से कार्यरत हैं।  यही कारण है कि बड़े पैमाने पर प्रतिभा का समूह देखने को मिला।  सनराइज स्कूल के जूनियर हाई स्कूल सेक्शन का रिजल्ट डिस्ट्रीब्यूशन एवं अवॉर्ड सेरेमनी का कार्यक्रम रहा।  आज कार्यक्रम का तीसरा एवं आखिरी दिन था। 

 रेलवे स्टेशन रोड स्थित सनराइज स्कूल में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है।  जिसमें पहले दिन यानी 27 मार्च को प्री प्राइमरी एवं 28 मार्च को प्राइमरी के छात्रों का रिजल्ट डिस्ट्रीब्यूशन एवं अवॉर्ड सेरेमनी किया जा चुका है। 

जहां एक तरफ मानसी श्रीवास्तव जूनियर हाई स्कूल सेक्शन की टॉपर रही वहीं दूसरी तरफ प्रतिमा मिश्रा बेस्ट टीचर के खिताब से नवाजी गयी है।  यह विद्यालय ए.पी.आई. व्यवस्था का अनुपालन करने वाला अकेला विद्यालय है।  यह व्यवस्था स्कूल में कार्यरत सभी शिक्षक एवं गैर शिक्षकों को जिम्मेदारी के धागे में पिरोता है l एवं दिए गए काम को नियत समय में करने की प्रतिभा भी बढ़ाता है l यही कारण है कि बच्चे के अच्छे मार्क्स के लिए ना सिर्फ बच्चे बल्कि उनके सब्जेक्ट टीचर, क्लास टीचर, कोऑर्डिनेटर, एकेडमिक इंचार्ज, प्रिंसिपल सहित अन्य भी जिम्मेदार पाए जाते हैं। 


यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि शिक्षा का व्यवसायीकरण भयावह तरीके से हुआ है।  अब शैक्षणिक संस्थान विद्यालय कम कारपोरेट कार्यालय की तरह ज्यादा लगता है।  कुछ विद्यालयों में टीचर्स को देख कर तो ऐसा लगता है कि यह बस अभी विमान उड़ाने जा रहे पायलट हैं। 

 ऐसे में मां-बाप का भ्रमित होना लाजमी है, जब विद्यालय केवल शिक्षा की ही बात करें तभी उसे विद्यालय समझा जाना चाहिए l ना कि विद्यालय में लगी हुई टाइल्स और शीशे की ऊंची बिल्डिंग व सूट बूट से लैस शिक्षक। मुख्य अतिथि के रुप में  प्रेम अग्रवाल जी मैनेजिंग डायरेक्टर होंडा एजेंसी रेलवे स्टेशन रोड बस्ती रहे जिन्होंने बच्चों को अपने तरफ से कई पुरस्कार वितरण किया।   तथा आगामी वर्ष में दो बच्चों की पूरी पूरी फीस अपने द्वारा भरे जाने की घोषणा की l स्कूल प्रशासन प्रेम जी का स्वागत एवं शुभकामनाएं करता है। 

प्रधानाचार्य से हुई विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि हमें शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन पर भी अधिक जोर देने की आवश्यकता है।  यह सच है कि एक तरफ हम बेहतरीन डॉक्टर, इंजीनियर, ब्यूरोक्रेट व अन्य नागरिक तैयार कर रहे हैं।  मगर यह अभी भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है कि क्या हम एक अच्छे नागरिक को बना पा रहे हैं।  क्या शिक्षा ग्रहण करने के बाद जीवन में कुछ उपलब्धियों को पाने के बाद वह बच्चा अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम में तो नहीं छोड़ आएगा। 

विद्यालय ही एक ऐसा मंदिर है जहां शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को जीवन जीने की कला की झलकियां भी दिखाई जानी चाहिए l शिक्षा ग्रहण करने के साथ हि समाज के विभिन्न पहलुओं की जानकारी भी दी जानी चाहिए। 

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