ग्राम प्रधान के दोनों पढ़े लिखे बेटे भी हैं मनरेगा के मजदूर
Kanpur News: सरसौल विकासखंड के नेवादा बौसर में मनरेगा फर्जीवाड़े में दोषी पाए गए ग्राम प्रधान समरजीत सिंह के दोनों बेटे धर्मवीर व कर्मवीर भी मनरेगा मजदूर हैं। उन्होंने गांव में रोजगार भी खूब पाया और करीब 68 हजार रुपये मजदूरी का भुगतान उठाया। यही नहीं शिकायतकर्ता रवि प्रताप सिंह की मानें तो दोनों बेटे, भाइयों व भतीजों को लगभग 1,93,123 रुपये का मनरेगा से मजदूरी भुगतान किया गया है।
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इतना ही नहीं बाहर नौकरी कर रहे एक फौजी के नाम से भी मनरेगा में जाब कार्ड जारी कर दिया गया। वहीं प्रधान के सगे भाई जंगबहादुर यादव को रोहित सिंह पुत्र धनराज ठाकुर के जाब कार्ड में लिंक कर दिया गया। 17 हजार रुपये मजदूरी भुगतान जंगबहादुर के भी खाते में किया गया है।
नेवादा बौसर ग्राम पंचायत में मनरेगा में धांधली सामने आने के बाद नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। शिकायतकर्ता का आरोप था कि था कि प्रधान के दोनों बेटों को भी मनरेगा मजदूरी का भुगतान किया गया, जबकि एक बेटा डीएलएड व दूसरा डीफार्मा किए है। प्रधान का नर्वल में मेडिकल स्टोर है। शहर में पक्का मकान व रायफल भी है।
शिकायतकर्ता के मुताबिक धर्मवीर को 36,481, कर्मवीर को 31,092, भाई जंग बहादुर को 16,932 व भतीजे-भाइयों को मिलाकर 1,93,123 रुपये मजदूरी भुगतान किया गया। जांच में ये भी सामने आया कि कुछ मजदूरों जैसे फूलमती, शहजाद अली व महेश को दो-दो जाबकार्डों के माध्यम से अधिक से अधिक काम दिया गया।
2019 के शासनादेश के मुताबिक जिसने भी मनरेगा में काम मांगा सभी को दिया गया। डीएलएड व डीफार्मा किए बेटे कोविड के दौरान बेरोजगार थे तो मजदूरी कर ली। नियमतः भुगतान हुआ है। भाई-भतीजों सभी को नियम के मुताबिक काम दिया गया। गड़बड़ी केवल जाब कार्डों की फीडिंग में हुई है।- समरजीत सिंह यादव, प्रधान नेवादा बौसर