नौकरशाही या अधिकारी तन्त्र की भूमिका और बाध्यता

नौकरशाही या अधिकारी तन्त्र की भूमिका और बाध्यता

विकास और नौकरशाही को उनकी भूमिका के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा गया है

उच्च स्तर

उच्च स्तर नौकरशाही द्वारा देश के विकास में निभाई जाने वाली भूमिका का अध्ययन करने का प्रयास किया जा रहा है। राजनीतिक नेतृत्व को विकास योजना के व्यावसायिक पक्ष का ज्ञान नहीं होता है और न ही वे विशेषज्ञ होते है। ऐसी स्थिति में वरिष्ठ प्रशासको की विकास नीति बनाने में भूमिका बढ़ जाती है। वरिष्ठ प्रशासक नीति का विश्लेषण और परामर्श के प्रति उत्तरदायी होते हैं। वे विभाग के प्रबन्ध, कार्यक्रमों को लागू करने और उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नेतृत्व प्रदान करते हैं।

मध्य स्तर

इस नौकरशाही स्तर में संचालक, ब्लॉक विकास और पंचायत अधिकारी, सह-आयुक्त और प्रथम श्रेणी के तकनीकी अधिकारी आदि अधिकारीगण आते हैं, जो आर्थिक-सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मध्य स्तर नौकरशाही के पदाधिकारी राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर कार्यों में समन्वय स्थापित करते हैं। वे नीति-निर्माता और नीति क्रियान्वयन इकाइयों के बीच संचार माध्यम के रूप में कार्य करते हैं। सच है कि विकास कार्यक्रमों और योजनाओं की सफलता मध्य स्तर नौकरशाही की कार्य करने की इच्छा व क्षमता पर निर्भर है। इन कार्यों को करने के लिए निम्न स्तर नौकरशाही के साथ समन्वय बनाए रखते हैं।

निम्न स्तर

नौकरशाही संगठन में सबसे अधिक निम्न स्तर नौकरशाही का होता है। विकास कार्यों में इनकी भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती। यही लोग वास्तव में सरकारी कार्यों का संचालन करते हैं और जनता के सम्पर्क में आते है। इसी स्तर के लोक सेवक जनता और संगठनों से कर और राजस्व की प्राप्ति करते हैं। यही नौकरशाही कार्यक्रमों को बनाने के लिए आँकड़े एकत्र करके भेजते हैं। इस प्रकार योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।


विकास के लिए नौकरशाही या अधिकारी तन्त्र

विकास प्रशासन, प्रशासनिक संगठन और प्रक्रिया में नियोजित परिवर्तन और विकास की नवीन धारणाओं व उद्देश्यों को प्रभावशाली ढंग से प्राप्त करना चाहता है। विकास के सन्दर्भ में यह आवश्यक है कि नौकरशाही न्यायपूर्वक संगठित, अधिक बहुमूल्य कार्यसम्बन्धी और उपलब्धि केन्द्रित हो।

लोकतन्त्र में जनता को सहभागिता के बिना विकास कार्यों में सफलता प्राप्त करना सम्भव नहीं है। अतः विकेन्द्रीकरण (सत्ता) समय की मांग है। नौकरशाही को विकास कार्यों की सफलता के लिए मानवीय तत्त्व की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। यदि नौकरशाही तन्त्र प्रभावशाली विकास करना है, तो परम्परागत दृष्टिकोण को त्यागकर नवीन सोच, संगठन में परिवर्तन, कार्य करने के तरीके, सेवीवर्ग के चरित्र में सुधार आदि बातों में परिवर्तन लाना होगा।

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