गायत्री परिवार की ओर से विद्या मंदिर रामबाग में कन्या कौशल/ युवा अभ्युदय संगोष्ठी आयोजित



  बस्ती। सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग बस्ती में अखिल विश्व गायत्री कन्या कौशल युवा अभ्युदय संगोष्ठी आयोजित
परिवार शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से इसी संस्था के युवा प्रकोष्ठ- 'दिया' बस्ती द्वारा कन्या कौशल / युवा अभ्युदय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में शांतिकुंज हरिद्वार से आए लोगों में ब्रजेश जी, पूर्णिमा देवी, तन्नू दीदी, जगराम जी, आकाश जी, नितेश जी और घनश्याम जी की उपस्थिति रही।
      विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री गोविन्द सिंह जी ने आगत अतिथियों का परिचय कराते हुए कहा कि भारत आज का सर्वाधिक युवा देश है। उनके भटकने से देश का पतन निश्चित है। इसी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए यह संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। अतिथियों का अंग वस्त्र देकर स्वागत किया गया।
       शांतिकुंज हरिद्वार से आई हुई खंडवा मध्य प्रदेश निवासी तन्नू दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि हजारों लोगों ने भारत के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और अरुणिमा सिन्हा का उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे लोग हमारे आदर्श होने चाहिए। हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं, और पश्चिमी संस्कृति के लोग हमारा अनुकरण कर रहे हैं। मोबाइल के चक्कर में पड़कर हम अपना समय नष्ट कर रहे हैं। हम अपना भविष्य तो नहीं बदल सकते, किंतु अच्छी आदतों से अपना भविष्य बना सकते हैं। छात्रों की सफलता के लिए समय पालन और अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें अपना मूल्य समझना चाहिए और विचार करना चाहिए कि हम विश्व के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं।
      अपने संबोधन को बहन पूर्णिमा ने गायत्री मंत्र से प्रारंभ किया और कहा कि सबके अलग-अलग भौतिक लक्ष्य हो सकते हैं लेकिन आध्यात्मिक लक्ष्य एक ही होना चाहिए और वह है, श्रेष्ठ इंसान बनना। विद्यार्थी जीवन में ही यदि हमने लक्ष्य तय कर लिया, तो हमारा जीवन उज्जवल हो जाता है। हमें इस बात को समझना चाहिए कि देश और संस्कृति के गौरव के लिए हम क्या कर सकते हैं? हमें अपने माता-पिता और गुरु की बातों को मानना चाहिए  और उनके द्वारा दिए गए संस्कारों को जीवन में उतरना चाहिए। आज हम सभी पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं। अपने और राष्ट्र जीवन को बदलने के लिए हमें अपने मन को बदलना पड़ेगा। पुरुषों का नशा करना और महिलाओं का फैशन देश को बर्बाद कर रहा है। देश, समाज और संस्कृति के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहना होगा।
 इस अवसर पर उन्होंने 'राम नहीं है नारा, बस विश्वास है' भजन भी प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग और सरस्वती बालिका विद्या मंदिर रामबाग बस्ती के भैया बहनों और आचार्य - आचार्याओं ने प्रतिभाग किया

 

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