रामरेखा का जल दूषित, मर रहीं मछलियां

 रामरेखा का जल दूषित, मर रहीं मछलियां

पसुबह टहलने गए लोगों की नजर नदी में मरी मछलियों पर पड़ी, खंड विकास अधिकारी भी पहुंचे मौके पर कहा होगी जांच

 छावनी, बस्ती : छावनी व अमोढ़ा कस्बे के बीच स्थित पौराणिक महत्व की रामरेखा नदी में मछलियां मरने लगी हैं। बताया जा रहा है नदी का जल प्रदूषित होने से जलीय जीव जंतुओं का जीवन संकट में पड़ गया है।" मछलियों के मरने की सूचना पर बड़ी संख्या में ग्रामीण नदी किनारे पहुंच गए। दोपहर बाद खंड विकास अधिकारी विक्रमजोत मौके पर जांच को पहुंचे। बताया कि नदी में मछलियां मरने की सूचना पर वह गए थे। मछलियां क्यों मर रही हैं, इसकी जांच कराई जाएगी। उच्चाधिकारियों से वार्ता कर जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा।

मछलियां मरी हुई थीं। धीरे-धीरे बड़ी संख्या में लोग नदी में मरी हुईं मछलियों को देखने पहुंच गए। रामरेखा मंदिर के महंत गयादास ने बताया कि बुधवार को मछलियां मरी नहीं थी। भोर में जब नित्यक्रिया के लिए बाहर निकला तो देखा तमाम

जलीय जीव जंतु मर रहे हैं। बताया कि समझते देर नहीं लगी कि नदी का पानी विषैला हो गया है। पौराणिक- महत्व की रामरेखा नदी से लाखों की आस्था जुड़ी हुई है। बेसहारा पशु नित्य पानी पीने आते हैं, अब उनके भी जान को खतरा है क्योंकि यह पानी प्रदूषित होकर विषैला हो चुका है।

गोपालजी सोनी ने बताया कि नदी को साफ करने के लिए प्रतिदिन वह स्वयं जलकुंभी निकालकर किनारे लगा रहे हैं जिससे नदी की पवित्रता बनी रहे। परंतु जलीय जीव जंतुओं के मरने से मन बहुत दुखी है। क्षेत्र पंचायत सदस्य लाल बहादुर पासवान ने बताया कि रामरेखा का अपना अलग महत्व है। भगवान राम से जुड़ी यह नदी यहां से निकल कर मनोरमा नदी में जाकर मिलती है। 15 किलोमीटर की दूरी में यह फैली उपेक्षा की शिकार है।

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