विश्व के प्रमुख जलवायु प्रदेश CHIEF CLIMATIC REGIONS OF THE WORLD
(A) उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश
1. विषुवतरेखीय जलवायु प्रदेश (Ar)
(1) स्थिति और विस्तार यह प्रदेश विषुवत् रेखा के दोनों ओर 5° उत्तरी और 5 दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित है। कुछ स्थानों पर इस क्षेत्र का विस्तार 10 तक इन्हीं उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों में पाया जाता है। ये समस्त प्रदेश लगभग 960 किलोमीटर की चौड़ाई में सम्पूर्ण पृथ्वी के विषुवतरेखीय क्षेत्र को घेरे हुए हैं। विषुवत् रेखा के निकट होने के कारण ही इस प्रदेश को विषुवतरेखीय प्रदेश कहते हैं। समुद्र तल से ऊंचाई के आधार पर सामान्यतः इस प्रदेश को दो भागों में विभाजित किया जाता है :
(i) निम्न विषुवतरेखीय जलवायु प्रदेश- जो भाग 2,000 मीटर से नीचे पाए जाते हैं। इनका क्षेत्रफल सर्वाधिक है।
(ii) उच्च परातलीय विषुवत्रेखीय जलवायु प्रदेश जो विषुवत्रेखीय भागों में 2,000 मीटर से अधिक ऊंचे भाग हैं। इनका क्षेत्र सीमित है। ये दक्षिणी अमरीका में अमेजन बेसिन तथा पूर्वी अफ्रीका में युगाण्डा ॐ माउण्ट एलान, कीनिया के माउण्ट कीनिया तथा किलीमंजारो पर्वत (तंजानिया) में विस्तृत हैं। विषुवतरेखीय प्रदेश के अधिकांश भाग दक्षिणी अमरीका, अमेजन बेसिन, अफ्रीका के मध्यवर्ती भाग तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीपों में विस्तृत हैं।
1. दक्षिण अमरीका में इस प्रदेश का सबसे बड़ा विस्तृत भाग अमेजन बेसिन में पाया जाता है, किन्तु पश्चिम में यह इक्वेडोर के पठारी भाग बोलिविया, पेरू, कोलम्बिया के मैदानी भागों में भी फैला हुआ है।
2. मध्य अमरीका में पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, होण्डुरास और ग्वाटेमाला के पूर्वी भाग भी समुद्री प्रभाव के कारण इस प्रकार की जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत आ जाते हैं।
3. अफ्रीका में इस जलवायु प्रदेश का विस्तार कांगो बेसिन, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया, गिनी की खाड़ी का तटीय भाग एवं अफ्रीका के पूर्वी तटीय भाग में पाया जाता है। 4. दक्षिण-पूर्वी एशिया में मलेशिया, इण्डोनेशिया, फिलीपीन द्वीप समूह में इस प्रकार की जलवायु पायी जाती है।
(2) जलवायु —
(i) तापमान तथा वायुदाब - इस समस्त प्रदेश में वर्ष-पर्यन्त सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती 5. अतः तापमान सदा ऊंचे रहते हैं। तापमान का औसत 26.7* सेण्टीग्रेड रहता है। दैनिक तथा वार्षिक ताप परिसर 2.5 से 4 सेण्टीग्रेड रहता है। इस प्रकार यहाँ वर्ष भर तापमान समान रूप से ऊँचे रहते हैं, क्योंकि ताप में मौसमी परिवर्तन नाममात्र का होता है। वर्षभर दिन और रात की लम्बाई बराबर होती है। इस प्रदेश में सूर्य एकदम उदय और एकदम ही अस्त होता है, इसलिए यहाँ गौधूलि प्रकाश दिखायी नहीं देता है। यहाँ शीत ऋतु नहीं होता निरन्तर तापमान ऊँचे रहने के कारण वायुदाब निम्न रहता है। इसी कारण ये प्रदेश शान्त पेटी के क्षेत्र कहलाते हैं।
(ii) वर्षा— दोपहर के समय घने मेघ छाए रहते हैं और वर्षा घोर गर्जन एवं चमक के साथ भारी बौछारों के रूप में होती है। यह वर्षा 'संवाहनिक वर्षा कहलाती है और प्रतिदिन ठीक समय पर दोपहर बाद चार बजे के आस-पास होती है। यद्यपि यहाँ वर्षा साल-भर प्रतिदिन होती है, किन्तु मार्च और सितम्बर में