मौसम वैज्ञानिक उपग्रह

मौसम वैज्ञानिक उपग्रह

मौसम वैज्ञानिक उपग्रह या मेटसैट (metsats) भू-अभिमुखी प्रणालियों की तुलना में एक धुंधला स्थानिक रिजॉल्यूशन रखते हैं। कई देशों ने इस प्रकार की प्रणालियों को प्रक्षेपित किया है। संयुक्त राज्य में राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के बाद उपग्रहों की नोआ (NOAA) श्रृंखला शुरू की गई थी जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण मेटसैट कार्यक्रमों में से एक है। ये उपग्रह निकट ध्रुवीय सौर तुल्यकालिक कक्षाओं में होते हैं जो कि लैंडसेट और स्पॉट के समान ही हैं। इसके विपरीत जीओईएस (GOES-भू-स्थिर परिचालनात्मक पर्यावरण उपग्रह) श्रृंखला के उपग्रह भू-स्थिर होते हैं और भूमध्यरेखा के ऊपर एक स्थिर सापेक्ष अवस्थिति में बने रहते हैं।

नोआ उपग्रहों, विशेष रूप से नोआ-6 से लेकर -12 तक लगा सबसे महत्वपूर्ण स्कैनर एक उन्नत अति उच्च रिजॉल्यूशन वाला रेडियोमीटर (AVHRR) है, जिसका नादिर पर धरातलीय रिजॉल्यूशन 1.1 किमी. है। नोआ उपग्रह दैनिक रूप से दृश्य और दिन में दो बार तापीय अवरक्त चित्रण कवरेज उपलब्ध कराते हैं। नोआ उपग्रह जल के सतही तापमानों का मानचित्रण भी कर सकते हैं।

जीईओस/ एसएमएस (तुल्यकालिक मौसम वैज्ञानिक उपग्रह) कार्यक्रम नोआ और नासा का एक सहकारी उपक्रम है और इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रक्षेपित किये गये उपग्रह मौसम वैज्ञानिक उपग्रहों के भूमंडलीय नेटवर्क का एक भाग हैं और ये उपग्रह विश्व में लगभग 70° देशान्तर दूरी पर स्थित रहते हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले उपग्रहों की कक्षीय ऊँचाई लगभग 36,000 किमी. होती है जहाँ वे भूमध्यरेखा के घूर्णन के साथ तुल्यकालिक होते हैं। जीईओएस चित्राकृतियां एक दृश्य बैंड और एक थर्मल आईआर बैंड में एक घंटे की अवधि में दो बार निर्मित होती हैं। दृश्य बैंड प्रकाश घंटों के दौरान कार्य करता है जबकि आईआर बैंड दिन और रात दोनों अवधियों में कार्य करता है। ये चित्रकृतियां वास्तविक समय के मौसम पूर्वानुमानों का आधार हैं।

 रडार प्रणालियां

रहार शब्द रेडियो डिटेक्शन एण्ड रेजिंग का शब्द-संक्षेप है। रडार को रेडियो तरंगों के प्रयोग द्वारा वस्तुओं और उनके सीमा विस्तार को पहचानने के लिए 7 विकसित किया गया था। रडार सक्रिय संवेदक होते हैं। इस प्रणाली द्वारा एक न वस्तु की पहचान और सीमांकन का कार्य सूक्ष्म तरंग ऊर्जा के लघु स्फोटों और स्पंदनों को वस्तु की दिशा में पारंपित करके किया जाता है। इसके बाद प्रणाली के दृश्य क्षेत्र के भीतर वस्तुओं से अभिग्रहीत होने वाले परावर्तनों और प्रतिध्वनियों के बल और उत्पत्तिमूल को दर्ज किया जाता है।

ने रडार विभिन्न प्रकार के होते हैं और इसका सबसे सरल रूप डॉप्लर ह रडार है, जो कि वस्तु के वेग को निर्धारित करने के लिए प्रत्यावर्तित और नो पाषित संकेतों में डॉप्लर प्रभाव आवृत्ति विस्थापनों का प्रयोग करता है।

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