भारत में भिक्षावृत्ति के कारण(CAUSES OF BEGGARY IN INDIA)
का कार्य किसी एक कारण से नहीं वर अनेक कारणों से किया जाता है। भिक्षावृत्ति के लिए प्रमुख कारण इस प्रकार है.
(1) आर्थिक कारक भिक्षावृत्ति के लिए आर्थिक परिस्थितियां प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसमें निर्धनता एवं प्रमुख है। लोगों के पास जब भरण-पोषण के लिए कोई और उचित साधन नहीं होता है तो ये मांगने लगते हैं। गांवों में रोजगार के अभाव के कारण लोग शहरों में जाते हैं यहां पर भी रोजगार न आने पर वे भिक्षावृत्ति प्रारम्भ कर देते हैं। जनसंख्या की वृद्धि के साथ देश में निर्धन एवं बेकार लोगों की में भी वृद्धि हुई है। डॉ. मुखर्जी का कहना है कि "भारत में भिक्षावृत्ति का सबसे स्पष्ट और मुख्य अरणगावों में किसानों की बेरोजगारी है। एक ओर भूमि पर दबाव बढ़ने के कारण भूमिहीन श्रमिकों की अख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है और दूसरी ओर ऐसे सभी श्रमिकों को उद्योगों में काम नहीं मिल कई लोगों ने भिक्षावृत्ति को एक पेशा बना लिया है। भिखारियों के बड़े-बड़े शहरों में संगठन पाये आते हैं जो भीख मांगने का प्रशिक्षण देते हैं। उन्हें यह बताते हैं कि भीख कहाँ. कब और कैसे मांगी जाय, देवों को दान देने के लिए किस प्रकार से प्रेरणा दी जाय ?
(2) जैविकीय कारक — जैविकीय दशाएं जैसे बीमारी, अक्षमता, पागलपन, वृद्धावस्था, अपंगता, आदि श्री भिक्षावृत्ति के लिए उत्तरदायी है। कोढ़ के कारण एवं अंग-भंग होने पर व्यक्ति शारीरिक रूप से कार्य करने में अक्षम हो जाता है। वृद्धावस्था, मानसिक कमजोरी एवं पागलपन की स्थिति में यदि व्यक्ति को कोई सहायता देने वाला नहीं होता है तो उसके सामने भीख मांगने के सिवाय कोई चारा नहीं रह जाता है। डॉ. राधाकमल मुखर्जी लिखते हैं, "भारत में कोढ़ की बीमारी से उत्पन्न असमर्थता कुरूपता तथा सामाजिक दमन ही यहां भिक्षावृत्ति का अत्यधिक महत्वपूर्ण कारण सिद्ध हुआ है। रे
(3) सामाजिक कारक — भिक्षावृत्ति को जन्म देने में अनेक सामाजिक एवं सामुदायिक परिस्थितियों का भी हाथ है। जब किसी समुदाय का विघटन होता है तब भी भिक्षावृत्ति बढ़ती है। पारिवारिक विघटन, माता-पिता के नियन्त्रण का अभाव एवं सामाजिक प्रथाएं, आदि भी भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देने वाले कारक है। यदि किसी परिवार में अर्जन करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाय तो बच्चे अनाथ हो जाते हैं, तब उनके सामने भिक्षा मांगने के अलावा और कोई उपाय नहीं रहता है। इसी प्रकार से पति द्वारा पत्नी को तलाक दे देने तथा माता-पिता में परस्पर तनाव एवं संघर्ष होने की स्थिति में बच्चे घर छोड़कर चल देते हैं और भिक्षा द्वारा जीवन-यापन करने लगते हैं। भारत में कुछ सामाजिक प्रथाएं भी ऐसी है कि वे भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहन देती हैं और कई जातियां जैसे साधु, जोगी, नाथ, बावा, जंगम, आदि भिक्षावृत्ति से ही जीवन-यापन करती है।
(4) धार्मिक कारक भारत के लोग धर्मपरायण हैं, अतः धार्मिक कारणों से भी भिक्षावृत्ति का कार्य किया जाता है। कई लोग भीख देना अपना नैतिक एवं धार्मिक कर्तव्य मानते हैं। कई लोग जब जाने पा अनजाने में अधार्मिक एवं पाप कर्म कर बैठते हैं तो उसके दुष्परिणाम को रोकने के लिए दान देते हैं। धार्मिक स्थानों व तीर्थ-स्थानों पर भीख देने का कारण लोगों की धार्मिक भावना है। वे यह मानते हैं कि ऐसा करके वे अपना परलोक सुधार रहे हैं, पुण्य कमा रहे हैं। फकीरों तथा साधुओं, आदि को दान एवं भिक्षा देकर व्यक्ति प्रसन्नता महसूस करता है। मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, मठ, धर्मशाला, आदि धार्मिक स्थानों पर भिक्षुओं की भीड़ देखी जा सकती है। कई धार्मिक उत्सवों एवं अवसरों जैसे श्राद्ध, चन्द्र एवं सूर्यग्रहण, विवाह, पुत्र जन्म, आदि के अवसर पर भी भीख दी जाती है।
(5) प्राकृतिक कारक – कई बार प्राकृतिक प्रकोप भी हजारों लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर देता है। बाढ़, भूकम्प, भूचाल, महामारी, अकाल, आदि के अवसर पर लोग अपना मूल स्थान छोड़कर जीवन-यापन के लिए दूसरे स्थानों पर जाते हैं और कई बार भिक्षा द्वारा जीवन यापन करते हैं। इसी प्रकार से पुख के समय भी कई स्त्रियां और बच्चे अनाथ हो जाते हैं और वे भिक्षावृत्ति अपनाते हैं एवं शरणार्थी बन जाते हैं। 1 R. K. Mukherjee, Causes of Beggars in our Beggar Problem, p. 20.
2 Ibid.